21 April, 2011

अंगदान - जीवन का उपहार

अंगदान - जीवन का उपहार 
यह सोचना स्वाभाविक है कि मौत के बाद ज़िंदगी का अंत हो जाता है, पर एक इंसान मरने के बाद भी जी सकता है। अपने अंगों का दान करके मौत के मुंह में पड़े कई बीमार लोगों को अनमोल जीवन दे सकता है और अपनी मौत को भी उपयोगी बनाया जा सकता है..
अभिलाषा शायद भगवान से अपने लिए लंबी ज़िंदगी लिखवा कर नहीं लाई थी, पर उसकी मौत चार बच्चों को नई ज़िंदगी दे गई। साढ़े 16 महीने की अभिलाषा स्वयं तो इस दुनिया से चली गई, लेकिन चार बच्चों को जीवनदान देकर उनकी मांओं के आंचल ख़ुशियों से भर गई। अभिलाषा की किडनियां और कॉर्निया चार बच्चों में प्रत्यारोपित किए गए हैं। ट्रांसप्लांटेशन के बाद अभिलाषा के पेरेंट्स ने कहा, ‘ऐसा करके हम उन बच्चों में अपनी अभिलाषा को ही अपने आसपास महसूस करेंगे।’

किसी अंग के बेकार हो जाने से ज़िंदगी बेकार नहीं हो जाती, पर किसी ज़रूरी अंग के काम न करने के कारण लाखों लोग अपनी ज़िंदगी गंवा देते हैं। अंग पाने वाले कई लोगों को दोबारा स्वस्थ जीवन जीने का मौक़ा मिला है। पर दान किए हुए अंगों की बहुत कमी के कारण कई मरीज़ों की मौत हो जाती है। अंग दान की प्रतिज्ञा करके हम क़ीमती ज़िंदगियों को बचाने में सहायता कर सकते हैं।

अंग दान क्या होता है?
अंग दान का अर्थ है किसी को जीवन का उपहार देना। यानी जीते-जी यह प्रतिज्ञा करना कि मरने के बाद हमारे अंग किसी मरते हुए मरीज़ को दान किए जाएं, ताकि उस मरीज़ को एक नया जीवन जीने का अवसर मिल सके।

ऐसे कर सकते हैं अंग दान
जीवन-काल में अंग दान- इंसानी अंगों के प्रत्यारोपण ऐक्ट 1994 के अनुसार आप जीते-जी अंग दान सिर्फ़ ख़ून के नज़दीकी रिश्तेदारों (भाई-बहन, मां-बाप और बच्चे) को ही कर सकते हैं। एक ज़िंदा दानी दो में से एक किडनी (क्योंकि शरीर के कार्यो के लिए एक किडनी काफ़ी है), पाचक ग्रंथि का हिस्सा (क्योंकि पैंक्रियाटिक कार्यो के लिए आधी पाचक ग्रंथि काफ़ी होती है) और जिगर का कुछ हिस्सा (क्योंकि जो थोड़ा-सा हिस्सा आप दान करते हैं वह समय के साथ दोबारा बढ़ जाता है) दान कर सकता है।

मृत्यु के बाद अंग दान- ब्रेन डैथ के बाद सभी अंगों और कोशिकाओं का दान किया जा सकता है।

कौन कर सकता है अंग दान?
कोई भी व्यक्ति अंग दान कर सकता है। इसके लिए उम्र या लिंग की रुकावट नहीं है। अगर आप अठारह वर्ष से कम आयु के हैं, तो आपको अपने अंगों को दान करने का प्रण करने से पहले आपने माता-पिता या क़ानूनी संरक्षक की मंज़ूरी लेनी पड़ेगी। मैडिकल जांच के बाद ही अंग लिए जाते हैं। जिन लोगों को एच.आई.वी., हैपेटाईटिस बी या सी आदि हो, उनके अंग नहीं लिए जाते।

इन अंगों का हो सकता है दान
मुख्य तौर पर इन अंगों का दान किया जा सकता है: हार्ट, फेफड़े, जिगर, पाचक ग्रंथि, किडनी, आंख, हार्ट के वाल्व, स्किन, हड्डियां, अस्थि-मज्जा, जोड़ने वाले ऊतक, कान का मध्य भाग और ख़ून की नाड़ियां।

कब कर सकते हैं अंग दान?
किसी को ‘ब्रेन डैड’ करार देने के बाद अंग दान हो सकता है। ‘ब्रेन डैड’ का मतलब है दिमाग़ के सभी कार्यो का स्थाई तौर पर पूरी तरह बंद हो जाना। जब दिमाग़ शरीर को ज़रूरी कार्य करने के संदेश भेजना बंद कर दे, जैसे सांस लेना, चीज़ों को महसूस करना, हुक्म मानना, अंग हिलाना आदि। ऐसे में उसके अंगों को स्वस्थ रखने के लिए ऑक्सीजन दी जाती है, जब तक उन्हें निकाला नहीं जाता।

ब्रेन डैथ की पुष्टि
डॉक्टरों का एक दल नियुक्त किया जाता है। ये विशेषज्ञ डॉक्टर कुछ निर्धारित जांच के बाद ब्रेन डैथ की पुष्टि करते हैं। जांच के दो निश्चित प्रयोग कम से कम छ: से बारह घंटे के अंतर में किए जाते हैं। क़ानूनी तौर पर मरने का समय दूसरी जांच के समय को माना जाता है। एक बार किसी को ब्रेन डैड घोषित कर दिया जाए, तब अंग दान करने का निर्णय लिया जा सकता है।

कौन दे सकता है मंज़ूरी?
जिन व्यक्तियों ने अपने जीवनकाल में अंग दान करने की लिखित रूप से मंज़ूरी दी हो, उन्हें अपना ‘डोनर कार्ड’ साथ रखना चाहिए और अपने नज़दीकी रिश्तेदारों को भी अपनी इस इच्छा के बारे में बता देना चाहिए। अगर किसी व्यक्ति ने जीते-जी लिखित रूप में मंज़ूरी न दी हो, तो उसके अंग दान करने की मंज़ूरी वह व्यक्ति दे सकता है, जिसके कब्ज़े में कानूनी तौर पर शव हो।

जब मृत्यु घर पर हो
घर पर मृत्यु के बाद सिर्फ़ कॉर्निया (आंखों) को निकाला जा सकता है। कोशिकाओं की रचना जैसे हार्ट का वाल्व, हड्डी, कान का मध्य भाग (मिडल ईयर) स्किन और लिगेमेंट्स को निकालने के लिए शव को अस्पताल ले जाना पड़ता है और वह भी मृत्यु के कुछ समय के भीतर।

प्रत्यारोपण से दूर होने वाले असाध्य रोग
अंग - बीमारी

हार्ट - हार्ट फ़ेल होना

फेफड़े - फेफड़ों की बीमारी अंतिम स्टेज पर होना

किडनी - किडनियों का फ़ेल होना

जिगर - जिगर का फ़ेल होना

पाचन ग्रंथि - जिगर का फ़ेल होना

पाचन ग्रंथि - डायबिटीज़

आंखें - अंधापन

हार्ट के वाल्व - वाल्व की बीमारी

स्किन - जल जाना

हड्डियां - जन्म-जात दोष, चोटें, कैंसर आदि


क्या हम अपनें अंगों को दान देकर उसका पंजियन कर फेसबुक पर डाल सकते हैं :https://www.facebook.com/event.php?eid=156257107770435

वन्दे मातरम..
सचिन खरे

मोबईल: 9755831300
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